भारतीय संस्कृति में जीवन मूल्य और पुरुषार्थ चतुष्ट्य

Author(s): डॉ. बदलू राम

Publication #: 2309008

Date of Publication: 05.01.2023

Country: India

Pages: 1-3

Published In: Volume 9 Issue 1 January-2023

Abstract

भारतीय चिन्तन-प्रक्रिया ने मानव व जीवन मूल्यों को एक- दूसरे का पर्याय माना है। इन जीवन मूल्यों को धारण करके मनुष्य एक सफल सार्थक एवं आनन्दमय जीवन व्यतीत कर सकता है। इन्हीं मूल्यों को जीवन-मूल्य कहा जाता है, जिनको अपनाकर तथा जिनकी राह चलकर मनुष्य सही अर्थों में मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है नीतिशतम् में भर्तृहरि ने कहा है-

'येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।

ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ॥1

मनुष्य-जीवन ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अमूल्य वरदान है। मानव जीवन की गतिविधियों एवं कार्य - प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए जिन मूलभूत तत्वों की आवश्यकता महसूस की जाती है, वे ही जीवन- मूल्य कहलाते हैं। जीवन मूल्यों को समझने के लिए जीवन और मूल्य की अलग-अलग व्याख्या आवश्यक है।

Keywords: -

Download/View Paper's PDF

Download/View Count: 389

Share this Article