Paper Details
भारत में शिक्षा के विकास में विभिन्न शिक्षा आयोग की भूमिका
Authors
डॉ. राकेश रंजन सिन्हा
Abstract
स्वतत्रं भारत में शिक्षा के विकास में विभिन्न शिक्षा आयोगों की विषिष्ट भूमिका रही है। भारत में शिक्षा से संबंधित समस्याओं तथा शिक्षा प्रणाली का विकास करने के लिए एक के बाद एक अनेक आयोगों का गठन किया गया। शिक्षा का मुख्य उद्देष्य व्यक्तियों की जन्मजात क्षमता को विकसित करना होता है। शिक्षा एक आजिवन प्रक्रिया है, जो व्यक्तियों के व्यवहार और व्यक्तित्व को संषोधित करती है। छात्रों में विषयों का ज्ञान और उनका मानसिक विकास करना शिक्षा के दो प्रमुख उद्देष्य हैं। सन् 1947 में स्वाधीनता प्राप्त करने के उपरांत देष की बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को पुर्नगठित करने के लिए राष्ट्र के नेताओं ने भारतवर्ष में प्रचलित शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की आवष्यकता पर बल दिया। दरअसल स्वाधीनता संग्राम के दौरान अनेक शिक्षा शास्त्रियों, राजनैतिक नेताओं, समाज सुधारकों तथा धर्मगुरूओं ने ब्रिटिष काल में अंग्रेज शासकों के द्वारा भारत मे लागू की गई पाष्चात्य शिक्षा प्रणाली की कटु आलोचना की थी तथा उसे भारत की मूलभूत परिस्थितियों के परिपे्रक्ष्य में उचित न मानते हुए उभरते हुए उसे भारतीय प्रजातंत्र की आवष्यकताओं के अनुरूप ढ़ालने पर बल दिया थाा। भारत के स्वतंत्र हो जाने पर इन विचाराको का मत था कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन लाकर इसके पुनर्गठन की तत्काल आवष्यकता है जिससे यह स्वतंत्र राष्ट्र की आवष्यकताओं के अनुकूल बन सकें।
Keywords
-
Citation
भारत में शिक्षा के विकास में विभिन्न शिक्षा आयोग की भूमिका. डॉ. राकेश रंजन सिन्हा. 2018. IJIRCT, Volume 4, Issue 3. Pages 1-4. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2402019