Paper Details
स्वदेशी आंदोलन का भारतीय समाज पर प्रभाव : एक विश्लेषण
Authors
डॉ. राकेश रंजन सिन्हा
Abstract
स्वदेशी आंदोलन की जड़े बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन में थी, जो लाॅर्ड कर्जन के बंगाल प्रांत को विभाजित करने के फैसले का विरोध करने के लिए 1905 ई0 में शूरू किया गया था। बंगाल में अन्यायपूर्ण विभाजन को लागू होने से रोकने हेतु सरकार पर दवाब बनाने के लिए नरमपंथियों द्वारा विभाजन विरोधी अभियान को शूरू किया गया था। सरकार को लिखित में याचिकाए दी गई, जनसभाओं का आयोजन किया गया तथा हितवादी संजीवनी और बंगाली जैसे समाचार-पत्रों के माध्यम से विचारों का प्रचार-प्रसार किया गया। विभाजन के कारण बंगाल में विभाजन विरोधी सभाओं का आयोजन किया गया, जिसके तहत् सबसे पहले विदेषी वस्तुओं के वहिष्कार का संकल्प लिया गया। अगस्त 1905 ई0 में कलकŸाा के टाउनहाॅल में एक विषाल बैठक आयोजित की गई, जिसमें स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा की गई।
Keywords
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Citation
स्वदेशी आंदोलन का भारतीय समाज पर प्रभाव : एक विश्लेषण. डॉ. राकेश रंजन सिन्हा. 2017. IJIRCT, Volume 3, Issue 6. Pages 1-2. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2402018