स्मृति साहित्य में वर्षित ब्रह्मचर्यानुशासन तथा प्रासंगिकता

Author(s): डॉ. बदलू राम

Publication #: 2309007

Date of Publication: 12.02.2023

Country: India

Pages: 1-5

Published In: Volume 9 Issue 1 February-2023

Abstract

भारतीय संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक तथा धर्म प्रधान संस्कृति रही है। भारतीय संस्कृति की धारा वेद, उपनिषद, पुराण, दर्शन, स्मृतियों आदि ग्रन्थों से निसृत हो निरन्तर गतिमान हो रही है तथा निरन्तर अपनी जड़ों से ऊर्जा प्राप्त कर रही है।

भारतीयसंस्कृति में मनुष्य जीवन मूल लक्ष्य पुरूषार्थ चतुष्ट्य बताया गया है। मानव अविराम गति से अपने लक्ष्य तक पहुंच परम सत्ता में विलीन हो मोक्ष की प्राप्ति करे, इस हेतु हिन्दू संस्कृति में आश्रम व्यवस्था, संस्कार विधि, वर्ण व्यवस्था आदि की व्यवस्था मिलती है जिसके अनुसार मनुष्य समयानुसार अपने धर्म का पालन करता हुआ मनुष्य जन्म को सार्थक करता है और इस लोक में स्वयं सुखी रहकर तथा दूसरों को सुखी रखकर परलोक में भी परमानन्द को प्राप्त करता है।

मनुष्य जन्म से पशुतुल्य होता है। जन्म के बाद संस्कारों तथा ज्ञान से उसमें मनुष्यत्व के गुण उभर कर आते हैं।

Keywords: वेद, उपनिषद, पुराण, दर्शन, स्मृति, धर्मशास्त्र

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