भारत में पर्यावरण के मुद्दे एवं नगरीकरण व अन्य समस्याएं :एक परिचय
Author(s): Devender Kumar Salwan
Publication #: 2301007
Date of Publication: 19.02.2023
Country: India
Pages: 1-5
Published In: Volume 9 Issue 1 February-2023
Abstract
सम्पूर्ण मानव समाज को किन्हीं लाक्षणिक आधारों पर नगरीय तथा ग्रामीण समुदायों मंें विभाजित किया जा सकता है जो नगरीय क्षेत्र में निवास करता है। रोजगार के अवसर तथा नागरिक सुविधाओं के कारण भारत में नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। अत्यधिक जनसंख्या बोझ से नगरों मंें आर्थिक समस्याएँ, सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएं तथा अन्य कई समस्याएँ उत्पन्न होती है।वर्तमान समय में भारत जैसे विकासशील देशों में नगरीकरण की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। नगरीकरण ऐसी प्रक्रिया है जिसके विकास के साथ कई प्रकार की समस्याएँ भी आती है। नगरीकरण की प्रक्रिया का एक पहलू विकास व खुशहाली लाना या सुविधापूर्ण आरामदायक गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के साधनों को बढ़ाना है तो वहीं दूसरा पहलू नकारात्मक रूप लिये हुये है जिसमें विकास के साथ-साथ विनाश अव्यवस्था, अपराध, असामाजिकता, अविश्वास व अराजकता भी बढ़ने लगी है। समाजशास्त्रीय दृष्टि से नगरीय का अर्थ नगर में रहने वाले समुदाय से हैं। नगर क्षेत्र की अवधारणा स्पष्ट हो जाने के बाद नगरीय की समाजशास्त्री अवधारणा स्पष्ट की जा सकती है अर्थात् नगरीय शब्द का प्रथम स्थान है। यह समुदाय विशेष का सूचक शब्द है। भारत में नगरों से सम्बन्धित समस्याएँ निम्न है-
Keywords: आवास की समस्यापर्यावरण सम्बन्धी समस्याए
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