भारतीय पारिवारिक विघटन एवं जूझती नारी अस्मिता की समस्या : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): Om Prakash Rathour
Publication #: 2205006
Date of Publication: 30.09.2022
Country: India
Pages: 30-33
Published In: Volume 8 Issue 5 September-2022
Abstract
भारतीय समाज अपने पारम्परिक आदर्शों एवं धार्मिक मूल्यों के गौरवपूर्ण संगम स्थल रहे। आजादी पूर्व भारतीय समाज में विभिन्न प्रकार की विसंगतियां उतपन्न हो गई थी जैसे सती प्रथा पर्दा प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, अनमेल विवाह आदि इन विसंगतियों से टककर लेना नारी के वश की बात नही थी। आजादी की लहर जब देश में फैल गई तब समाज सुधारकों की दृष्टि नारी उत्थान की ओर गई तथा उन्होनें इन समस्त विसंगतियों को अवैध घोषित करके इन्हें समाप्त करने का प्रयास किया। समाज की परिवर्तनशीलता ने नारी के व्यक्तित्व को प्रभावित किया है। स्त्रियों में शिक्षा के विकास के कारण आत्मविश्वास पैदा हुआ है। वर्तमान समय में नारी के सामने आर्थिक स्वावलंबन आने लगा तथा नारी आत्मनिर्भर होते हुए अपनी स्वतंत्रता की मांग करने लगी।
सभ्यता के विस्तार तथा सामाजिक संरचना के अधिकाधिक जटिल हो जाने के कारण भारतीय नारियों की आकांक्षा में भी परिवर्तन आया है तथा सभ्यता के विस्तार तथा सामाजिक संरचना के अधिकाधिक जटिल हो जाने के कारण भारतीय नारियों की आकांक्षा भी अब जटिल एवं उलझी हुई हो गई हैं। दाम्पत्य जीवन में नारी कुछ भी करने को तैयार हो जाती है क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसके पति के साथ संबंध टूट जाए। इसलिए वह अपने पति द्वारा दिए गए अपमान को भी चुपचाप सहन कर लेती है क्योंकि वह अपने दाम्पत्य जीवन में तालमेल बैठाना चाहती है।
Keywords: नारी, पारिवारिक विघटन, दाम्पत्य जीवन
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