’’समान नागरिक संहिता की भूमिका भारत की पूर्वोंत्तर जनजाति विशेष के सन्दर्भ में’’
Author(s): डॉ. रेखा पाण्डेय
Publication #: 2502060
Date of Publication: 10.06.2021
Country: India
Pages: 1-7
Published In: Volume 7 Issue 3 June-2021
Abstract
समान नागरिक संहिता एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून होता है। समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड़ देश के सभी धर्मों समुदायों के लिये एक समान कानून बनाने की वकालत की गई है। समान नागरिक संहिता से तात्पर्य देश के सभी समुदायों के लिए कानून एक समान होगा। यह संहिता संविधान के भाग- प्टके अनुच्छेद-44 के तहत आती है। इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक कानून बनाने का आह्वान करता हैं।1, जो सभी पंथों के लिये विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत व बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दो में कहा जाए तो अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून होना ही ’समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है। यह किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानून से ऊपर है। वर्तमान समय मंे विभिन्न समुदायों के व्यक्तिगत कानून उनके धार्मिक ग्रन्थों द्वारा शासित होते है। पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना भारत की सत्तारूढ़ (भारतीय जनता पार्टी) पार्टी द्वारा किए गए विवादस्पद विषयों में से एक है। धर्म निरपेक्षता जो कि एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है वह विभिन्न जातियों, जनजातियों एवम् धार्मिक रीति-रिवाजों की रक्षा में भारत के राजनीतिक वामपंथी, मुस्लिम समूहों और अन्य रूढ़िवादी धार्मिक समूहों और सम्प्रदायों द्वारा एक विवादित विषय बना हुआ है। भारत मंे अनुसूचित जाति जनजाति की आबादी लगभग 10.45 करोड़ है। अभी व्यक्तिगत कानून सार्वजनिक कानून से अलग-अलग है। इसी बीच भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25-28 भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारण्टी देता है और धार्मिक समूहों को अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करने की अनुमति देता है। संविधान का अनुच्छेद-44 भारतीय राज्य से अपेक्षा करता है कि वह राष्ट्रीय नीतियाँ बनाते समय सभी भारतीय नागरिकों के लिए राज्य के नीति निर्देशक तत्व में शामिल समान नागरिक संहिता संबंधित कानून को लागू करने पर भारत के पूर्वी राज्यों की जनजातियों के विरोध का कारण अपनी पम्परागत संस्कृति को बनाये रखने का पूर्णतः प्रयास किया जाये और समस्त भारत के नागरिकों के लिए एक समान संहिता सुनिश्चित करें (अनुच्छेद-44)। उक्त शोध पत्र वर्तमान मंे उभरती सामाजिक समस्याओं पर आधारित है जो कि वर्णानात्मक पद्धति पर आधारित है जिसमें प्राथमिक एवं द्वितीय आकड़ों के आधार पर तथ्यों का संकलन कर शोध पत्र को लिखा गया। 2
Keywords: समान नागरिकता संहिता, भारतीय नागरिक, समाजिक मुद्दे, कानून अनुच्छेद-44, संविधान, स्वत्रंता, समानता, भाग-4 समुदाय आदि।
Download/View Count: 110
Share this Article