भारत में लैंगिक अंतर - दलित महिलाओं में आर्थिक अवसरों, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनैतिक नेतृत्व में लैंगिक अंतर का एक अध्ययन

Author(s): Mrs. Nisha, Prof. (Dr.) Anamika Kaushiva

Publication #: 2502052

Date of Publication: 28.02.2025

Country: India

Pages: 1-11

Published In: Volume 11 Issue 1 February-2025

Abstract

लैंगिक समानता एक मौलिक मानव अधिकार है और एक समृद्ध अर्थव्यवस्था में सतत् विकास की नींव है। समाज में लिंग के आधार पर बहिष्कार जो महिलाओं को अपने पूर्ण मानवाधिकारों को पहचानने से और प्रयोग करने में बाधाएं पैदा करता है, लैंगिक असमानता को जन्म देता है। लिंग आधारित भेदभाव के परिणामस्वरूप पुरुषों और महिलाओं के विकास के बीच ‘लैंगिक अंतर’ पैदा होता है। भारत में महिला सशक्तिकरण के उपायों के बावजूद उपलब्ध संसाधनों और अवसरों तक पहुंच में लिंग आधारित अंतराल बहुत बड़ा है। लैंगिक अंतर सूचकांक चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों - आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य और राजनैतिक सशक्तिकरण- तक महिलाओं और पुरुषों की पहुंच में अंतराल को मापता है। विश्व के 146 देशों के लिए 2024 में वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक में भारत का स्थान 129 वां है। भारत की जनसंख्या महिला जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अवसरों से वंचित हैं। यदि दलित महिलाओं की स्थिति पर ध्यान केन्द्रित किया जाए तो शिक्षा, रोजगार, आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक, धार्मिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में अन्य महिला से बहुत पिछडी हुई है। भारत में विकास प्रक्रिया सतत् और समावेशी नहीं है और दलित महिलाओं में लैंगिक अंतर के संकेतक स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वह सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक असमानता और बहिष्करण का सामना करती हैं। यह शोध आलेख लैंगिक अंतर और लैंगिक अंतर सूचकांक की अवधारणा का विश्लेषण है और प्राथमिक आंकड़ों के सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर दलित महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य और राजनैतिक सशक्तिकरण तक पहुंच में लैंगिक अंतर का विश्लेषण है।

Keywords: लैंगिक अंतर, वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक, लिंग असमानता, समावेश, दलित महिलाएं

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