भारत में जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण क्षरण का भौगोलिक अध्ययन
Author(s): जलेसिंह यादव
Publication #: 2501086
Date of Publication: 27.01.2025
Country: india
Pages: 1-4
Published In: Volume 11 Issue 1 January-2025
Abstract
यह शोध पत्र जनसंख्या वृद्धि और उसके पर्यावरणीय प्रभावों पर केंद्रित है, विशेष रूप से विकासशील देशों में तेजी से बढ़ती आबादी को वैश्विक संकट के रूप में प्रस्तुत करता है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि जनसंख्या वृद्धि से प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर गंभीर दबाव पड़ता है, जिससे सतत विकास के लक्ष्य प्रभावित होते हैं। पर्यावरणीय क्षरण के मुख्य कारकों में जनसंख्या वृद्धि को प्रमुख माना गया है, जो भूमि क्षरण, वनों की कटाई, जैव विविधता के क्षय और ऊर्जा की बढ़ती मांग जैसी समस्याओं को बढ़ावा देती है। भारत, जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, इस समस्या का एक प्रमुख उदाहरण है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या भारत के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, जो वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन जैसे खतरों के रूप में स्पष्ट है। शोध में संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों का भी उल्लेख है, जिनके अनुसार 2023 तक भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने की संभावना रखता है।
इस शोध में जनसंख्या वृद्धि के वैश्विक प्रभावों का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है और पर्यावरणीय क्षरण के समाधान की संभावनाओं पर चर्चा की गई है। विशेष रूप से, यह अध्ययन जनसंख्या वृद्धि के प्रबंधन और सतत विकास के बीच संतुलन बनाने के लिए नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
Keywords: जनसंख्या, वैश्विक प्रभाव, पर्यावरण, प्रदूषण, नीतिगत प्रयास, जलवायु परिवर्तन।
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