आधुनिक विश्व में राष्ट्रवाद और पहचान की राजनीति

Author(s): तरुण परिहार

Publication #: 2501025

Date of Publication: 06.06.2024

Country: India

Pages: 1-13

Published In: Volume 10 Issue 3 June-2024

Abstract

आधुनिक विश्व में राष्ट्रवाद और पहचान की राजनीति के उभार ने वैश्विक और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इस शोध में राष्ट्रवाद की परिभाषा, इसके विविध स्वरूपों (सांस्कृतिक, धार्मिक, और आर्थिक), और पहचान की राजनीति के साथ इसके अंतर्संबंध का अध्ययन किया गया है। 21वीं सदी में, वैश्वीकरण के प्रभाव और तकनीकी प्रगति के बावजूद, राष्ट्रवाद ने समाज और राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई है। ब्रेक्जिट, अमेरिका में "अमेरिका फर्स्ट" नीति, और भारत में धार्मिक राष्ट्रवाद जैसे उदाहरण बताते हैं कि पहचान की राजनीति ने राष्ट्रवाद को एक नई दिशा दी है।

यह शोध सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान (जैसे जाति, धर्म, भाषा) के राष्ट्रवाद में योगदान का विश्लेषण करता है और यह समझाने का प्रयास करता है कि पहचान आधारित राजनीति कैसे सामाजिक ध्रुवीकरण और बहुसंस्कृतिवाद के टकराव को जन्म देती है। शोध में यह भी चर्चा की गई है कि राष्ट्रवाद किस प्रकार वैश्विक राजनीति में बहुपक्षीय सहयोग को चुनौती देता है।

इस अध्ययन का उद्देश्य राष्ट्रवाद के बदलते स्वरूप को समझना और पहचान आधारित राजनीति के माध्यम से समाज और सरकारों पर इसके प्रभाव का आकलन करना है। यह निष्कर्ष देता है कि समावेशी नीतियाँ और बहुसंस्कृतिवाद का प्रोत्साहन इन चुनौतियों का समाधान हो सकता है।

Keywords: राष्ट्रवाद, पहचान की राजनीति, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, धार्मिक राष्ट्रवाद, वैश्वीकरण, बहुसंस्कृतिवाद, सामाजिक ध्रुवीकरण, ब्रेक्जिट, "अमेरिका फर्स्ट" नीति, समावेशी नीतियाँ

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