पं. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल की निबंध शैलियाँ
Author(s): डॉ. द्वारिका प्रसाद चन्द्रवंशी
Publication #: 2412138
Date of Publication: 05.01.2021
Country: India
Pages: 1-4
Published In: Volume 7 Issue 1 January-2021
Abstract
पं. राजेन्द्रप्रसाद शुक्लएक प्रसिद्ध राजनेता होने के अलावा एक कवि एवं निबंधकार भी रहे हैं। इनकी कृतियों में निबंध संग्रहों की संख्या अधिक हैं। पं. शुक्ल कवि होने के नाते एक चिंतक भी रहे है, इसी कारण उनकी शैली संयत और सुष्ठु रूप से सुसज्जित होकर हमारे सामने उपस्थित होती हैं। पं. शुक्ल जी के विचार एवं चिन्तन अब तक पाँच निबंध संग्रहों के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होने विविध वर्ण्य विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है। लीक से हटकर (1985), मेरी विचार यात्रा (1988), ‘धरती की बात (1989)‘ ‘माटी की महक (1985)‘ एवं संस्कृति का प्रवाह (2002) में प्रकाशित हुए हैं, जिनमें उनके द्वारा निबंधों की विविध शैलियों ने अभिव्यक्तिपाईहै।
उद्देश्य:- पं. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल को समाज एक राजनेता के रूप में ज्यादा जानता है, चूँकि वे इसके साथ ही एक अच्छे साहित्यकार भी हैं, जिसे समाज से परिचित कराना व उनके निबंध की विविध शैलियों का विवेचन प्रस्तुत करना इस शोध आलेख का मुख्य उद्देश्य ळें
Keywords: माटी, गौरेया, नाद, ब्रह्माण्ड, हनुमानकूद, चिमनी, ढिबरी, हॉरमनी, स्टाइल।
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