Paper Details
करौली जिले में भूजल भौगोलिक विश्लेषण
Authors
शेर सिंह कोली
Abstract
जल एक अमूल्य प्राकृतिक संसाधन एवं जीवन का आधार है। यह न केवल मानव बल्कि जीव-जंतु एवं पादप जगत के लिए भी आवश्यक है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल स्रोत वर्षा जल ही है। इसी का कुछ भाग नदी, नालों व तालाबों में सतही जल के रूप में व कुछ भाग रिसकर भूमि के अंदर भूजल के रूप में जलभृत (एक्विफर) क्षेत्रों में रहता है। वर्तमान में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या से सिंचाई, उद्योग, ऊर्जा व घरेलू क्षेत्र में जल की मांग से भूजल पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जल का संरक्षण करने और सभी क्षेत्रों में जल के प्रयोग की दक्षता बढ़ाने की भी जरूरत है। भूजल स्रोतों के विकास एवं प्रबंधन के लिए योजनाबद्ध रूप से जलभृत शैलों को अंकित करने तथा उसका मात्रात्मक व गुणात्मक मूल्यांकन करने की आवश्यक है। करौली जिले में बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण एवं सिंचित कृषि में बढ़ती पानी की मांग व अन्य गतिविधियों के परिणाम स्वरूप सम्पूर्ण जिले में भूजल का स्तर ’अति दोहन’ की श्रेणी में आ गया है। यह शोध पत्र करौली जिले में जलभृतों एवं भूमिगत जल के स्थाई प्रबंधन पर प्रकाश डालता है
Keywords
जलभृत, जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम भूजल पुनर्भरण, अति दोहन, सिंचित कृषि।
Citation
करौली जिले में भूजल भौगोलिक विश्लेषण. शेर सिंह कोली. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 6. Pages 1-9. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2412078