भारतीय महान समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं दलित आंदोलन: एक ऐतिहासिक अवलोकन
Author(s): कबीर शरण
Publication #: 2408037
Date of Publication: 10.08.2024
Country: India
Pages: 1-4
Published In: Volume 10 Issue 4 August-2024
Abstract
डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय समाज.व्यवस्था का गहन अध्ययन किया और उन्होंने पाया कि भारत को कमज़ोर बनाने, इसकी विकास की धारा अवरुद्ध करने तथा सामाजिक सौहार्द्र में सबसे बड़ी बाधा भेदभावपूर्ण जाति.व्यवस्था ही है। उनके समय देश में जातिप्रथा, जिसका सबसे अमानवीय रूप छुआछूत था, आज से कहीं अधिक विद्यमान थी। आज आज़ादी के 70 साल बाद भी, वह कुछ पुराने रूप में और कुछ रूप बदलकर हमारे समाज में मौजूद हैं। जाति-व्यवस्था के रूप में, भारतीय समाज में शोषण को सामाजिक और धार्मिक मान्यता प्राप्त रही है, जिसे बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने भी स्वयं भी भोगा था। डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर भारतीय इतिहास के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। जिन्होंने उपेक्षितों, शोषितों, दलितों, पिछड़ों, पीड़ितों में सम्मानपूर्वक जीने की ललक जगाई। हज़ारों सालों से हो रहे शोषण और दमन के कारण, मानसिक रूप से मृत पड़ी जमात के मन में अपने अधिकारों के प्रति जो बिगुल फूका था, वह कारवां बनकर निरंतर बढ़ता जा रहा है।
भारत देश को आज़ादी प्राप्त होने के बाद उन्होंने कहा था, ‘‘हम ऐसे समय में प्रवेश कर रहें हैं, जिसमें हम राजनैतिक रूप से तो बराबर हैं, लेकिन सामाजिक रूप से बराबर नहीं है।’’ उनकी यह बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस समय थी। जातिवादी ज़हर ने हमारे भारतीय समाज को बुरी तरह जकड़ लिया है। इस कारण दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों पर आए दिन अत्याचार होता रहता है, जिसके कारण एक बड़ी जनसंख्या ज़िल्लत की ज़िंदगी जीने के लिए अभिशप्त है।
Keywords: शोषण और दमन, जाति व्यवस्था, छुआछूत भारतीय दलित आंदोलन
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