जलवायु की परिवर्तनशीलताः जैव विविधता और जीवों पर प्रभाव

Author(s): डॉ. सत्य देव

Publication #: 2407081

Date of Publication: 05.01.2024

Country: India

Pages: 1-6

Published In: Volume 10 Issue 1 January-2024

Abstract

जलवायु परिवर्तन का अर्थ दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में जलवायु में होने वाले दीर्घकालिक परिवर्तनों से है। यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (जैसे कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस) के जलने से पृथ्वी के वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की तेजी से बढ़ती मात्रा के कारण होता है। ये गर्मी-फंसाने वाली गैसें पृथ्वी और महासागरों को गर्म कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, तूफान के पैटर्न बदल रहे हैं, समुद्र की धाराओं में परिवर्तन हो रहा है, वर्षा के पैटर्न बदल रहे हैं, बर्फ और हिमनद पिघल रहे हैं, और अधिक चरम गर्मी की घटनाएं, आग और सूखा हो रहे हैं। इन प्रभावों के जारी रहने और कुछ मामलों में मानव स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, जंगलों, कृषि, मीठे पानी की आपूर्ति, समुद्र तटों और समुद्री प्रणालियों को और अधिक प्रभावित करने की संभावना है।

Keywords: जलवायु, परिवर्तनशीलता, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत क्षरण, पारिस्थितिकी-तंत्र, जैव विविधता।

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