भारत में हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति चुनौतियां एवं संभावनाएं

Author(s): राजेश कुमार

Publication #: 2407037

Date of Publication: 12.07.2024

Country: india

Pages: 1-5

Published In: Volume 10 Issue 4 July-2024

Abstract

हिन्दी भाषा की जो शब्दावली है जो ज्ञान-विज्ञान और वर्तमान समय की नई-नई तकनीको को व्यक्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं। हिन्दी भाषा में यह गुण होते हुए भी आज के ज्ञान-विज्ञान और उच्चशिक्षा प्राप्त करने का माध्यम हिन्दी भाषा नहीं बन पा रही हैं। इस क्षेत्र में कुछ अपवादों के कारण अंग्रेजी भाषा ही अपना पाँव पसारे हुएँ हैं। हिन्दी भाषा में ज्ञान-विज्ञान और उच्चशिक्षा प्राप्ति के लिए पुस्तको का अभाव हैं। हिन्दी भाषा में जितने भी लेखक या रचनाकार हैं। उन्होने साहित्य के क्षेत्र में, कथाएँ, काव्य जैसे अनेक क्षेत्रों में काव्य, ग्रंथ एवं कई प्रकार की रचनाएँ की हैं, लेकिन ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में और उच्चशिक्षा के क्षेत्र में इनके द्वारा लिखि गई पुस्तको की बहुत कमी हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए इन लेखको की कलम चलना अति आवश्यक हैं, यदि ज्ञान-विज्ञान और उच्चशिक्षा के क्षेत्र में पुस्तको को लिखि जायेगी तो यह पुस्तके पर्याप्त मात्रा में प्राप्त की जा सकेगीं। इससे हिन्दी भाषा का क्षेत्र व्यापक होगा, और ज्ञान-विज्ञान और उच्चशिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने में भी आसानी होगी।

स्वतन्त्रता प्राप्त होने के 70 वर्ष हो चुके हैं। इसके बाद भी हिन्दी भाषा को जो संविधान द्वारा अधिकार दिये गये हैं, उन अधिकारो से हिन्दी वंचित हैं। वह अधिकार आज भी हिन्दी भाषा को नहीं मिले हैं। आजादी के इतने सयम के बाद अभितक तो हिन्दी को राजभाषसा बन जाना चाहिए था, लेकिन हमारे दुर्भाग्य के कारण आज भी कार्यालयों की भाषा अंग्रेजी ही बनी हुई हैं। हमारी मातृभाषा होने के बाद भी बार-बार लोगोें को हिन्दी भाषा का महत्व याद दिलाना पढ़ता हैं। आज के समय में देश के कौने-कौने में हिन्दी पहुंच चुकी हैं, और सारी दुनिया में हिन्दी भाषा अपना पाँव पसार चुकी हैं। हमारे देश की सम्पर्क भाषा हिन्दी ही हैं। हिन्दी में ग्रहणशीलता की शक्ति सबसे बड़ी शक्ति हैं। हिन्दी भाषा में अन्य भाषाओं से आये शब्दों को पचा लेने की एक अद्भुत क्षमता हैं। अन्य भाषाओं और बोलियों से आये हुऐ शब्द ग्रहण करने के बाद भी हिन्दी के स्वरूप में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन या बदलाव देखने को नहीं मिलता हैं। यह हिन्दी का एक अद्भुत लक्षण हैं। अन्य किसी भाषाओं में नजर नहीं आता, हिन्दी भाषा का क्षेत्र बड़ा व्यापक हैं। अन्य भाषाओं में उन्नतशीलता के दृष्टिकोण से परिवर्तन बड़ी धीमी गति से होता हैं, जबकि हिन्दी भाषा में परिवर्तन की गति बहुत तेज एवं आधुनिकता पर आधारित हैं।

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