आदिवासियों के मसीहा-मोतीलाल तेजावत का आदिवासी जनजातियों के उत्थान में योगदान

Author(s): वैभव इणखिया

Publication #: 2407033

Date of Publication: 09.07.2024

Country: India

Pages: 1-5

Published In: Volume 10 Issue 4 July-2024

Abstract

‘‘आदिवासियों के मसीहा’’ नाम से चर्चित, वनवासी संघ के स्थापना करने वाले और एकी आन्दोलन चलाकर आदिवासियों, किसानों और कामगारों को सामन्ती अत्याचारों के खिलाफ एकजूट करने वाले मातीलाल तेजावत 1886 ई. में झाड़ोल, उदयपुर के कोल्यारी में जन्मे थे। पांचवी तक शिक्षा गांव से प्राप्त की थी। इनके प्रयासों से ही किसानों से बेगार प्रथा के रूप में काम करवाना बंद किया गया और कामगारों को उचित वेतन दिलवानें में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। निमड़ा गांव (विजयनगर, गुजरात) में 7 मार्च, 1922 को एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में मेवाड़ भील कोर के कमाण्डर मेजर एच.जी. शर्टन ने गोलीबारी का आदेश देने पर यहां भीषण जनसंहार हुआ जिसमें 1200 भील आदिवासी मारे गए इसीलिए यह ‘नीमड़ा हत्याकाण्ड’ के नाम से जाना जाता है। तेजावत ने गरासिया जनजाति के विकास व उत्थान का कार्य किया था। मोतीलाल तेजावत राजस्थानी खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। इनकी मृत्यु 5 दिसम्बर, 1963 ई. को हुई थी।

Keywords: आदिवासी, ठिकाना, सामन्त, मसीहा, वनवासी, एकी, बेगार, कामगार, नरसंहार, अंधाधुंध, फरारी, भोमट, सत्याग्रह आदि।

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