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गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका
Authors
लालाराम
Abstract
द्वितीय विष्वयुद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव लाने में ‘‘गुट-निरपेक्षता’’ का विषेष महत्व है। गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की उत्पति का कारण कोई संयोग मात्र नहीं था, बल्कि यह एक सुविचारित धारणा थी। इसका उद्देष्य नव-स्वतन्त्र राष्ट्रों को साम्राज्यवाद व उप-निवेषवाद से छुटकारा दिलाकर शक्तिषाली राष्ट्रों के गुटों से दूर रखकर उनकी स्वतंत्रता को सुरखित रखना था।
भारत ने गुट-निरपेक्षता को एक नीति के रूप में अपनाकर अपनी विदेष नीति के आधारभूत सिद्धांतों में स्थान दिया तथा एषिया व अफ्रीका के नव-स्वतन्त्र राष्ट्रों को भी इस नीति की ओर आकर्षित किया। इस आन्दोलन में भारत की भूमिका ही केंद्रीय रही। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को ही इस आन्दोलन का जनक माना जाता है। इस आन्दोलन की वैचारिक व संगठनात्मक पृष्ठभूमि के निर्धारण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
आजादी के बाद भारत एक अल्प संसाधन उपलब्धता वाला राष्ट्र रह गया था तथा उनके सामने आधारभूत ढांचे को विकसित करने की महत्वपूर्ण चुनौती थी, इस कारण वह विष्व के किसी गुट में शामिल न होकर अपने विकास के रथ को आगे बढ़ाना चाहता था। इस आन्दोलन में भारत की भूमिका स्थैतिक नहीं बल्कि निरन्तर गतिषील थी। भारत विष्व का पहला देष है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इस अवधारणा का प्रतिपादन करके इसके सिद्धांतों की व्याख्या की तथा इसके सिद्धांतों को अपनाने के लिये एषिया, अफ्रीका एवं लैटिन अमरीका के नव-स्वतन्त्र देषों को प्रेरित किया। सन् 1955 में बाण्डुंग सम्मेलन में व्यक्त किए मूल विचारों को सितम्बर 1961 में बेलग्रेड सम्मेलन में और अभिव्यक्ति मिली जब स्वतन्त्रता, शक्ति, न्याय और समानता की ओर बढ़ने के लिये ऐतिहासिक घटनाओं के रूप में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का जन्म हुआ। बेलग्रेड सम्मेलन में पंडित नेहरू ने कहा था, ‘‘ हम इसे गुट निरपेक्ष देषों का सम्मेलन कहते है। अब गुट-निरपेक्ष शब्द की भिन्न रूप में व्याख्या की जा सकती है, परन्तु मूलतः इसके अर्थ का प्रयोग विष्व की महाषक्तियों के गुटों से अलग रहने के लिये किया गया है। गुट-निरपेक्षता एक नकारात्मक अर्थ है, परन्तु यदि आप इसे एक सकारात्मक अर्थ दे तो इसका आषय उन राष्ट्रों से है, जो युद्ध के प्रयोजन सैन्य गुटों, सैन्य सन्धियों और इसी प्रकार की अन्य बातों का विरोध करते हैं, इसलिये हम इससे दूर है और हम जिस रूप में भी है, शांति के पक्ष को अपना समर्थन देना चाहते है।’’
Keywords
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Citation
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका. लालाराम. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 4. Pages 1-3. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2407012