आजीवन शिक्षा और सामुदायिक विकास में पुस्तकालयों की भूमिका

Author(s): विक्रम मोबारसा

Publication #: 2406053

Date of Publication: 24.06.2024

Country: India

Pages: 1-3

Published In: Volume 10 Issue 3 June-2024

DOI: https://doi.org/https://doi.org/10.5281/zenodo.12513945

Abstract

अमूर्त

पुस्तकालय शिक्षा और सामुदायिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह समीक्षा पत्र उच्च शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल पुस्तकालयों के विकास के संदर्भ में पुस्तकालयों की भूमिका का विश्लेषण करता है। उच्च शिक्षा में, पुस्तकालय सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के माध्यम से डिजिटल पुस्तकों, शोध पत्रों और अन्य संसाधनों को सुलभ बनाते हैं, जिससे अध्ययन और शोध अधिक प्रभावी हो जाते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी ने पुस्तकालयों को डिजिटल संसाधन प्रदान करने में सक्षम बनाया है, जिससे ज्ञान की पहुँच व्यापक हो गई है। सामुदायिक विकास में, डिजिटल पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में कार्य कर सकते हैं, जहाँ लोग मिलकर सीख सकते हैं और अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं। आजीवन शिक्षा में, पुस्तकालय जीवन भर सीखने के अवसर प्रदान करते हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में सहायक होते हैं। यह समीक्षा पत्र निष्कर्ष निकालता है कि पुस्तकालय शिक्षा और सामुदायिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

Keywords: शब्द कुंजी: पुस्तकालय संसाधन, उच्च शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल पुस्तकालय, सामुदायिक विकास, आजीवन शिक्षा

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