राजस्थान में घटता जलस्तर एवं कृषि पर प्रभाव का विशेष अध्ययन
Author(s): Satar Khan
Publication #: 2308026
Date of Publication: 06.08.2023
Country: India
Pages: 1-5
Published In: Volume 9 Issue 4 August-2023
Abstract
विश्व की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या कृषि में संलग्न है जबकि भारत की दो तिहाई जनसंख्या कृषि में कार्यरत है। कृषि को प्रभावित करने वाले कारकों में जल की अहम् भूमिका होती है। राजस्थान राज्य के झुंझुनूँ जिले की बुहाना तहसील से 3 किमी. दूर 28°20´ उत्तरी अक्षांश एवं 75°87´ पूर्वी देशान्तर पर स्थित हैं इस गांव का कुल क्षेत्रफल 127.15 हेक्टेयर है। इस क्षेत्र की समुद्रतल से औसत ऊँचाई 300 मीटर है। यहाँ मुख्यतः रेतीली मृदा है। इस गांव की कुल जनसंख्या 723 है। अनुसूचित जनजाति बिल्कुल भी नहीं है। शुद्ध बोया गया क्षेत्र 113.2 हैक्टेयर है। खरीफ व रबी की फसलें बोई जाती है। खरीफ की फसलें मुख्यतया वर्षा पर निर्भर होती है। लेकिन कभी-कभी वर्षा कम या नहीं होने पर इनकी सिंचाई नलकूप व कुओं द्वारा फव्वारों से की जाती है। यहाँ भूमिगत जल स्तर बहुत गहरा है। अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य जिले में उपलब्ध सतही व भूजल संसाधनों का आंकलन करना हैं परम्परागत जल संग्रहण के स्रोतों का आंकलन करना तथा जल संकट के समाधान हेतु पारम्परिक जलस्रोतों की उपयोगिता हेतु सुझाव देना है। परिकल्पनाओं के अन्तर्गत भूजल की गहराई का अधिक होना व रबी की फसलों का क्षेत्र घटना है। प्राथमिक व द्वितीय आंकड़ों का एकत्रीकरण किया गया है प्राथमिक आंकड़ों का संकलन साक्षात्कार एवं अनुसूची बनाकर व द्वितीय आंकड़ों का संग्रह विभिन्न कार्यालयों से किया गया है। इस गांव में केवल राजपूत, मेघवाल व ब्राह्मण जाति ही निवास करती है। जिनके पास कुओं का प्रतिशत क्रमशः 78.57, 21.43 शून्य है। जिन किसानों के पास भूमि अधिक वे ही अधिकांशतः कुएँ बनाते हैं। अधिकांशतः कुएँ 105 से 110 मीटर गहराई के हैं। गेंहू में लगभग तीन बार पानी देना पड़ता हैं इसलिए कृषक गेंहू को कम बोते हैं। 57.14 प्रतिशत कुओं का पानी सूख गया है। कुओं के सूखने व इसमें पानी कम होने से रबी में बोई जाने वाली फसलों का क्षेत्र घटा है। अतः कुओं के जलस्तर में वृद्धि के लिए वर्षा जल से पुनर्भरण की योजना आरम्भ करनी चाहिए, कृषकों को इस कार्य हेतु अनुदान प्रदान किया जाना चाहिये तथा ऐसे बीज विकसित किये जाने चाहिए जिसमें कम जल की आवश्यकता हो।
Keywords: रेतीली मृदा, उत्तरी अक्षांश, पूर्वी देशान्तर, पारम्परिक जलस्रोत
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