डॉ. भीमराव अम्बेडकर के धार्मिक विचार

Author(s): मेहराब खा

Publication #: 2306012

Date of Publication: 10.03.2019

Country: India

Pages: 1-2

Published In: Volume 5 Issue 2 March-2019

Abstract

अगाध ज्ञान के भण्डार, घोर अध्यवसायी, अद्भूत प्रतिभा, सराहनीय निष्ठा और न्यायषीलता तथा स्पष्टवादिता के धनी डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने आपको दलितों के प्रति समर्पित कर दिया था। अस्पृष्य समझी जाने वाली महार जाति में जन्म लेने के कारण उन्हें अपने जीवन में पग-पग पर भारी अपमान और घोर यन्त्रणा की स्थितियों का सामना करना पड़ा था। इन अपमानों और सामाजिक यातनाओं को झेलते हुए वे जीवन में निरन्तर आगे बढे और उन्होंने निष्चय किया कि भारत के अस्पृष्य वर्ग के लिए अमानवीय जीवन की इस स्थिति को समाप्त कर उन्हें मानवता के स्तर पर लाना हैं। इस महामानव ने भारत के दलित वर्ग के प्रति निष्ठा और समर्पण की जिस स्थिति को अपनाया था, उसके आधार पर उसे भारत का लिंकन और मार्टिन लूथर कहा गया और यहां तक कि उन्हें बोधिसत्व की उपाधि से विभूषित किया गया।

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