समावेशी ग्रामीण विकास और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम

Author(s): Batti lal meena

Publication #: 2305009

Date of Publication: 29.05.2023

Country: india

Pages: 1-5

Published In: Volume 9 Issue 3 May-2023

Abstract

भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवो में रहती है। गांवो के सर्वागीण विकास के लिए परिसम्पतियों का विकास भी सम्मिलित है गांव की अधिकांश परिसम्पतियां प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, भूमि, जंगल व पालतू पशुओं के ऊपर निर्भर है।इन प्राकृतिक संसाधनों के समुचित विकास के साथ सभी रोजगार का सृजन होता है।ग्रामीण विकास एक ऐसी व्यूहरचना है जो निर्धन ग्रामीणों के आर्थिक एवं सामुदायिक जीवन को उन्नत करने के लिए बनाई गई है।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी स्कीम को सितम्बर 2005 में मनरेगा अधिनियम के अन्तर्गत लागू किया गया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को न्यूनतम 100 दिन का गारन्टी युक्त अकुशल मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना प्रमुख उद्देश्य रखा गया। बाद में 2012-13 में दिनो की संख्या बढाकर 150 कर दी गयी। मनरेगा से संबंधित अधिनियम में रोजगार में महिलाओं को प्राथमिकता देने का प्रावधान है, ताकि रोजगार प्राप्त करने वालों में कम से कम एक तिहाई भाग महिलओं का है।संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना तथा राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम को मनरेगा के अन्तर्गत मिला दिया गया। वर्ष 2007-08 में मनरेगा का विस्तार कर इसे 330 जिलों मे ंलागू कर दिया गया।वर्तमान मे मनरेगा का क्रियान्वयन सभी ग्रामीण जिलों में किया जा रहा है।मनरेगा केन्द्र सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।जो ग्रामीण निर्धन लोगों के जीवन को प्रभावित करता है तथा समावेशी विकास को बढावा देता है। वर्ष 2007-08 में 3.39 करेाड ग्रामीण परिवारों को रोजगार गांरटी दी गयी।वर्ष 2009-10के दौरान 160 करोड मानव दिवस के तुल्य रोजगार दिया गया।मनेरगा हेत ुवर्ष 2009 -10 एवं 2012-13 के लिये क्रमश 39,100 करोड एवं 43,009 करोड रू का बजट आवंटित किया गया तथा जिसे बढाकर 2016 - 17 में 48,000 करोड रूपये कर दिया गया। मनेरगा ग्रामीण परिवारों के लिये रोजगार उपलब्ध कराने हेतु एक समयबद्ध रोजगार आवंटन करता है तथा ग्रामीण क्षेत्र में जीवन निर्वाह का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। प्रस्तुत शोध-पत्र में मनरेगा कार्यक्रम का विस्तार से मूल्यंाकन किया गया है।

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