समानता का अधिकार और राजनीति में महिलाओं की बदलती भूमिका का विश्लेषण
Author(s): Vikram Singh
Publication #: 2305007
Date of Publication: 17.05.2023
Country: india
Pages: 1-5
Published In: Volume 9 Issue 3 May-2023
Abstract
भारतीय संविधान कानून ने देश के सभी नागरिकों को जाति, धर्म, भाषा, लिंग के आधार पर समानता का अधिकार दिया है, किन्तु व्यवहार में देखें तो जाति, धर्म, भाषा, लिंग के आधार पर महिलाओं मेंहोने वाले अत्याचार लैंगिक आधार पर भेदभाव, असमानता, घरेलू हिंसा शोषण समाज में दिखाई देती है।महिलाओं की परिस्थितियों में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक स्तर पर परिवर्तन आ रहे हैं, किन्तुयह परिवर्तन नाममात्र का है। भारतीय समाज में नारी की स्थिति अनेक प्रकार के विरोधों से ग्रस्त रही
है।एक तरफ वह परम्परा में शक्ति, देवी के रूप में देखी गई है, वहीं दूसरी ओर शताब्दियों से वह ‘अबला’,‘माया’ के रूप में देखी गई है। दोनों ही अतिवादी धारणााओं ने नारी के प्रति समाज में एक और रूढ़िगतसोच, आधुनिकता के उन्मेष के कारण नारी का शोषण होता रहा है तो दूसरी ओर आधुनिकता की अवधारणाके साथ-साथ उसे पुरूषों के बराबर सामर्थ्यवान समझने का अभिमान भी चला है। वर्तमान में पुरूषों कीतुलना में महिलाओं की छवि उसके सामर्थ्य में आधारभूत परिर्वन आया है, किन्तु आज भी नारी इतनी अशक्तहै कि उसको सबल बनाने के लिए भारत में 2001 में महिला सशक्तीकरण वर्ष घोषित किया गया है।लिखते हैं कि किसी भी देश की महिलाओं की वास्तविक स्थितिक का अनुमान उस देश कीसांस्कृतिक, आध्यात्मिक स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है, व्यक्ति उत्तरदायी हैं कि उसने नारी के लिएबहुत से विचारों को गढ़ा जो उसके सौंदर्य, अस्मिता को बताते हैं, वहीं वह पुरूषों से भिन्न है
Keywords: लोकतंत्र, प्रौद्योगिकी, साम्प्रादायिकता, समानता का अधिकार, सहभागिता, संस्कृतिकरण, वैश्वीकरण।
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