Paper Details
भारत में पर्यटन उद्योग का वर्तमान एवं भविष्य : एक अध्ययन
Authors
Guman Singh jatav
Abstract
पर्यटन आज विश्व का सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। यह अनेक सुविधाओं, सेवाओं और उद्योगों का समूह है। इससे परिवहन, होटल, रेस्टोरेंट, दुकानों, मनोरंजन आतिथ्य उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। यह पर्यटक के द्वारा किए जाने वाले व्यय का योग है, इसी से पर्यटन को आर्थिक लाभ पहुँचता है। पर्यटन में आमदनी बढ़ाने और रोजगार पैदा करने की प्रभूत क्षमता है। यह कम लागत का व्यवसाय है, जिसमें संगठित और असंगठित दोनों तरह के श्रमिकों को रोजगार मिलता है। यह एक सघन श्रम वाला उद्योग है। पर्यटन उद्योग सकल घरेलू उत्पाद (जी0डी0पी0), विदेशी मुद्रा अर्जन और रोजगार सृजन के क्षेत्रों में योगदान की अपनी संभावना के कारण क्षेत्र के आर्थिक विकास के प्रमुख सार थी के रूप् में उभरा है। यात्रा और पर्यटन क्षेत्रा से सीधे जुड़े परिवहन और आतिथ्य उद्योग के अलावा आपूर्ति कर्ताओं एवं भागीदारों को भी अप्रत्यक्ष लाभ पहुँचता है। इन उद्यमों में अधिक संख्या में महिलाओं, युवाओं तथा ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। यात्रा एवं पर्यटन उद्योग में लघु एवं मध्यम वर्ग के उद्योगों की संख्या अच्छी खासी है और इससे न केवल उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि यह विविध प्रकार के रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। यह कुशल, अर्द्धकुशल और अकुशल लोगों को रोजगार प्रदान करता है। पर्यटन से कस्टम, ट्रैवल, एजेंसी, एयरलाइंस, टूर ऑपरेटर्स, होटल उद्योग एवं पर्यटक गाइड के रूप में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। पर्यटन रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ - साथ प्रादेशिक असमानता एवं गरीबी को दूर करने तथा मानव विकास में एक प्रमुख साधन के रूप् में लगातार विकसित हो रहा है, इससे राष्ट्रीय एकता एवं अंतरर्राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा मिलता ही है, साथ ही साथ स्थानीय कला, संस्कृति हस्तशिल्प एवं परंपरागत वस्तुओं का भी प्रचार-प्रसार होता है। इस प्रकार किसी भी क्षेत्र अथवा देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में पर्यटन का प्रमुख योगदान हो सकता है।
Keywords
हृदय योजना, ई-वीजा पर्यटन उद्योग, स्वदेश दर्शन, प्रसाद योजना,
Citation
भारत में पर्यटन उद्योग का वर्तमान एवं भविष्य : एक अध्ययन. Guman Singh jatav. 2023. IJIRCT, Volume 9, Issue 3. Pages 1-7. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2305006