Paper Details
अश्वघोष का बौद्ध दर्शन में योगदान
Authors
Kunwar Lal Meena
Abstract
महाकवि अश्वघोषः- महान बौद्ध दार्शनिक, महाकवि आचार्य अश्वघोष सम्राट कनिष्क के समकालिक थे। वे न केवल बौद्ध दर्शन के इतिहास में ही, अपितु संस्कृत काव्यों की समस्त परम्परा में भी अत्युच्च गौरवमय स्थान रखते हैं। महाकवि अश्वघोष आदिकवि वाल्मीकि के एक महत्वपूर्ण उत्तराधिकारी थे एवं कालिदास तथा भास के पूर्वगामी थे। बहुत से भारतीय तथा पाश्चात्य विदान् विश्वासपूर्वक यह मानते हैं कि महाकवि कालिदास अनेक विषयों में हमारे इन आचार्य के अतिशय ऋणी थे। महाकवि अश्वघोष का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यही था कि उन ने अपने सभी काव्यों के माध्यम से बुद्धभक्ति का ही सर्वाधिक प्रचार प्रसार किया । यद्यपि महायानमत की शिक्षाएँ अश्वघोष के समय से प्रायः दो या तीन शताब्दी पूर्व ही प्रचार में आ रही थी, परन्तु उन शिक्षाओं की प्रभावमयी अभिव्यक्ति सर्वप्रथम अश्वघोष की कृतियों (रचनाओं) में ही दिखायी दी।
अश्वघोष की रचनाएँः- अश्वघोष बौद्ध भिक्षु और महान् पण्डित थे, किन्तु वे अपने समय की काव्यशैली के प्रभाव से वंचित न रह सके। उनके द्वारा रचित दोनों ही काव्य -सौन्दनन्द एवं बुद्धचरित, शास्त्रीय शैली (वैदर्भी रीति) के महत्वपूर्ण प्रबन्धकाव्य हैं। उनकी शैली भी कालिदास के समान परिष्कृत एवं रसान्वित होने के साथ नैसर्गिक ओजस्विता एवं सौंदर्य से परिपूर्ण है। 1
Keywords
आर्यसुवर्णाक्षीपुत्रस्य साकेतकस्य भिक्षोराचार्यस्य भदन्ताश्वघोषस्य महाकवेर्महावादिनः कृतिरियम्। (सं.साहि.का इतिहास पृ.सं.226
Citation
अश्वघोष का बौद्ध दर्शन में योगदान. Kunwar Lal Meena. 2018. IJIRCT, Volume 4, Issue 6. Pages 154-156. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=1806009